भैरव अष्टमी भगवान काल भैरव के प्रकट होने का पावन दिन है। इस दिन भैरव बाबा की पूजा करने से सभी भय, बाधाएँ और संकट दूर होते हैं।
काला तिल भैरव बाबा को अत्यंत प्रिय है। इससे जीवन में शक्ति, रक्षा और शत्रु-मुक्ति प्राप्त होती है।
हाँ, भैरव बाबा को मदिरा चढ़ाना उनकी आराधना का पारंपरिक अंग है। यह साहस, विजय और आत्मबल का प्रतीक है।
हाँ, श्रद्धा और पवित्र भाव से जो भी भक्त पूजा करता है, भैरव बाबा उस पर अपनी कृपा अवश्य बरसाते हैं — चाहे वह पुरुष हो या महिला।
इस दिन भक्तजन विशेष रूप से — काला वस्त्र, काला तिल, तिल-गुड़ लड्डू, मदिरा, नींबू की माला, लाल पुष्प, नारियल, लोहे की वस्तु, और भैरव वाहन (श्वान) को भोजन चढ़ाते हैं।
भैरव बाबा के वाहन श्वान को भोजन अर्पित करना भक्ति का सर्वोच्च प्रतीक माना जाता है। इससे भैरव बाबा शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्त पर अपनी कृपा बरसाते हैं।
भैरव अष्टमी की पूजा रात्रि में की जाती है, क्योंकि यह समय भैरव तत्त्व की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
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